ज्योतिष एवं आयुर्वेद उपचार केन्द्र

“ज्योतिष और आयुर्वेद उपचार केंद्र, पटना, सद्गुरु कृपालु नेतृत्व में स्थित है, जो ज्योतिष विद्या और आयुर्वेद के क्षेत्र में आपके समस्त समस्याओं का समाधान प्रदान करने का आदर्श केंद्र है। हम गहरे ज्ञान और अनुभव के साथ ज्योतिष और आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिससे हम आपको आत्मा, शरीर और मन के संतुलन को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

हम आयुर्वेदिक औषधियों का प्रदान करके आपकी स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार करते हैं और ज्योतिष विद्या के माध्यम से आपके भविष्य का अनुसरण करके जीवन को और भी सुखद बना सकते हैं। हमारा लक्ष्य व्यक्तिगत और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देना है, और हम सतत रूप से योगदान कर रहे हैं ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में विशेषज्ञता और न्यायिकता के साथ। हम एक समर्थ समुदाय की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध समाज की दिशा में कदम से कदम मिलाकर चल सकें।”

"हमारी सेवाएं"

"बाल झरना"

"कब्ज़"

"नसो में दर्द और गाठिया"

"आँख सम्बन्धी रोग"

"मधुमेह"

"दिल का रोग"

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ज्योतिष और आयुर्वेद उपचार केंद्र में आपका स्वागत है ।

“ज्योतिष और आयुर्वेद उपचार केंद्र, पटना, सद्गुरु कृपालु नेतृत्व में स्थित है, जो ज्योतिष विद्या और आयुर्वेद के क्षेत्र में आपके समस्त समस्याओं का समाधान प्रदान करने का आदर्श केंद्र है। हम गहरे ज्ञान और अनुभव के साथ ज्योतिष और आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिससे हम आपको आत्मा, शरीर और मन के संतुलन को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

हम आयुर्वेदिक औषधियों का प्रदान करके आपकी स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार करते हैं और ज्योतिष विद्या के माध्यम से आपके भविष्य का अनुसरण करके जीवन को और भी सुखद बना सकते हैं। हमारा लक्ष्य व्यक्तिगत और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देना है, और हम सतत रूप से योगदान कर रहे हैं ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में विशेषज्ञता और न्यायिकता के साथ। हम एक समर्थ समुदाय की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध समाज की दिशा में कदम से कदम मिलाकर चल सकें।”

“जड़ी-बूटी का महत्व”

जड़ी-बूटी का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इनमें अनेक औषधीय गुण होते हैं जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।
इनमें विटामिन, खनिज, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
जड़ी-बूटियों के लाभ
जड़ी-बूटियों में कई चमत्कारी गुण होते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। ये जड़ी-बूटियाँ आमतौर पर पौधों से प्राप्त होती हैं और वे हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के लिए लाभप्रद होती हैं।

भारत की समृद्ध जड़ी-बूटी संपदा
भारत एक ऐसा देश है जो अपनी प्रकृति के लिए जाना जाता है। भारत के अंतर्गत हजारों प्रकार की जड़ी-बूटियां होती हैं। ये जड़ी-बूटियां भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में पाई जाती हैं। भारत में जड़ी-बूटियों का बहुत महत्व होता है। इन जड़ी-बूटियों को आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध आदि चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग किया जाता है।

औषिधीय पौधों का महत्व
कुदरत के दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़-पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकानिभाते हैं। इसमें न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ती ही होती बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं-कार्बन चक्र हो या भोजना श्रृंखला के पिरामिड में भी ये सर्वोच्च स्थान ही हासिल करते हैं। इनकी उपयोगिता को देखते हुए इनको अनेक संवर्गों में बांटा गया है। इनमें औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं आय का भी एक जरिया बन जाते हैं। हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। इससे प्राप्त होने वाली जड़ी-बूटियों के माध्यम से न केवल हनुमान ने भगवान लक्ष्मण की जान बचायी बल्कि आज की तारीख में भी चिकित्सकों द्वारा मानव रोगोपचार हेतु अमल में लाया जाता है। यही नहीं, जंगलों में खुद-ब-खुद उगने वाले अधिकांश औषधीय पौधों के अद्भुत गुणों के कारण लोगों द्वारा इसकी पूजा-अर्चना तक की जाने लगी है जैसे तुलसी, पीपल, आक, बरगद तथा नीम इत्यादि। प्रसिध्द विद्वान चरक ने तो हरेक प्रकार के औषधीय पौधों का विश्लेषण करके बीमारियों में उपचार हेतु कई अनमोल किताबों की रचना तक कर डाली है जिसका प्रयोग आजकल मानव का कल्याण करने के लिए किया जा रहा है।

आयुर्वेद क्या हैं?
आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखा रहा है। प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता था। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व के कारण, हमने आधुनिक विश्व में भी आयुर्वेद के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग करना नहीं छोड़ा – यह है आयुर्वेद का महत्व।

आयुर्वेद का महत्व
आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जो हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आदतें विकसित करने में सहायक होती है। इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से जीवन सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त बनता है। बीते 35 साल से ज्योतिष एवं आयुर्वेद उपचार केन्द्र
जड़ी-बूटी चिकित्सा (एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ) भी आयुर्वेद पर आधारित गंभीर से गंभीर बिमारियो का उपचार आयुर्वेद, जड़ी-बूटी चिकित्सा (एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ) के माध्यम से किया जाता आ रहा है।

आयुर्वेद का इतिहास
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। यह शब्द संस्कृत के शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है। आयुर्वेद, या आयुर्वेदिक चिकित्सा को कई सदियों पहले ही वेदों और पुराणों में प्रलेखित किया गया था। यह बात और हैं के आयुर्वेद वर्षों से विकसित हुआ है और अब योग सहित अन्य पारंपरिक प्रथाओं के साथ एकीकृत है।

आयुर्वेद की खोज भारत में ही हुई थी और भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से आयुर्वेद का अभ्यास किया जाता है – 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के किसी न किसी रूप का उपयोग करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा (University of Minnesota) के सेंटर फॉर स्पिरिचुअलिटी एंड हीलिंग (Center for Spirituality and Healing) के अनुसार इस परंपरा को पश्चिमी दुनिया में पिछले कुछ सालों में बहुत लोकप्रियता प्राप्त हुई है।

रोगों की सूची

त्वचा रोगों की सूची

1.त्वचाशोथ
2.घमौरी
3.दाद
4.खाज (स्कैबी)

5.सफेद दाग

6.कुष्ट रोग
7.मुंहासे
8.फोड़ा
9.फुंसी
10.रूसी
11.गंजापन
12.एड़ियों की बिवाई
13.छाजन
14.छाल रोग (सारिआसिस)
15.त्वचा का रंग बदल

आनुवंशिक रोगों की सूची
1.वर्णान्धता
2.टर्नर सिंड्रोम (23th gene Monosomi)
3.क्लाइन
4.हीमोफीलिया
5.मंगोलिज्म
6.पटाऊ सिन्ड्रोम(13th gene Triyosomi)
7.प्रोजेरिया
8.((रंजकहीनता))

संक्रामक रोगों की सूची
1.छोटी माता
2.चेचक
3.हैजा
4.डेंगू ज्वर
5.सूजाक
6.हेपेटाइटिस ए
7.हेपेटाइटिस बी
8.हेपेटाइटिस सी
9.हेपेटाइटिस डी
10.हेपेटाइटिस ई
11.इनफ्लुएंजा
12.कुष्ट रोग
13.मलेरिया
14.खसरा
15.तानिकाशोथ
16.प्लेग
17.उपदंश
18.टेटनस
19.टाइफाइड
20.क्षय
21.पीत ज्वर
22.एडस
23.मियादी बुखार(टायफॉयड)
24.स्वाइन फ्लू
25.पोलियो
26.कोरोना वायरस
27.चमकी बुखार
28.ट्यूब्बर क्लोसिस{ T.B}

मानसिक रोग

पाचनतंत्र के रोग – (Digestive System)
1 Dyspepsia डिस्पेपशिया भुखनालगना
2 Anorexia एनोरेक्शिया भोजन करने की इच्छा ना होना
3 Acidity एसीडिटी अम्लपितरोग
4 Constipation कॉस्टीपेशन कब्ज
5 Flatulence फ्लेटूलेन्स अफारा / आध्यमान /पेट फुलना
6 Diarrhoea डायरिया पतले दस्त /अतिसार
7 Sprue स्प्रू संग्रहणी
8 Dysentery डिसेन्टरी पेचिस
9 Gas Trouble गैस ट्रबल गैस की तकलीफ
10 Colic Pain कालीकपेन पेट का दर्द
10 Stomatits स्टोमेटेटिस मुख पाक /मुख के छाले
12 Piles पाइल्स अर्श या बवासीर
13 Jaundice जान्डीस पीलिया

श्वसनतंत्र (Respiratory System)
1. Laryngitis – स्वरयंत्र की शोथ (सुजन)
2. Cough – खांसी
3. Cold [ Coryza] – जुखाम (सर्दी)
4. Pneumonia – न्योमोनिया (फेफड़े की शोथ)
5. Pleurisy – प्लूरिसी (पसली का दर्द)
6. Asthma – अस्थमा (दमा)
नेत्ररोग (Eye Disease
1. Foreigan Body in Eye – आँखो में कुछ पड जाना
2. Conjunctivitis – आँख दुखना
3. Blepharitis – पपोटो की सूजन
4. Stye – गुहेरी
5. Trachoma -कुकरे
कान के रोग
1.कर्णशूल (कान का दर्द)
2.कर्णस्त्राव (कान का बहना)
3.कान का मैल
4.तीव्र मध्यकर्ण प्रदाह
5.कान की पुरानी शोथ
6.कान का एक्जिमा
7.कान का फोड़ा
8.कान के परदे फटना
मुख रोग (Mouth Disease)
1. Stomatitis – मुख में सूजन व छाले
2. Uvula – यूवला, गल शुण्डिका, काकलक का गिरना
3. Pharyngitis – फैरिंजाइटिस, कंठशोथ, गले का दर्द
4. Tonsillitis – गलतुण्डिका शोथ
5. Phyorrhoea (पायोरिया) – मसूडो में पीप पड़ जाना
6. Laryngitis (लैरिंगजाइ‍टिस) – स्वर यंत्र शोथ
7. Hoarsness – स्वर मंग, आवाज बैठ जाना
8. Toothache (टूथ एच) – दाँत का दर्द
9. Scurvy (स्कर्वी) – मसूडो से रक्त आना
10. Quinsy (क्विन्सी) – गलें में फोडा हो जाना
11. Acute Glossitis (एक्यूट ग्लोसाइटिस) – जीभ की नवीन शोथ

ज्वर (Fever)
1. Typhoid Fever bmvmn – टाइफाटड फीव1र
2. Malaria – मलेरिया बुखार
3. Puerperal Fever (प्यूरपेरल फीवर) – प्रस्तुत ज्वर
4. Influenza Fever – एन्फ्लुएन्जा ज्वर
5. Viral Fever – वायरल फीवर
6. Ratbite Fever – रैटबाइट फीवर (चूहा काटे का ज्वर)
7. Scarlet Fever – स्कारलेट फीवर
त्वचारोग (Skin Disease)
1. Leprosy – लेप्रोसी – कुष्ठ रोग (कोढ़)
2. Small Pox – स्माल पाक्स – चेचक, शीतला
3. Measles – मीजल्स – खसरा, छोटी माता
4. Erythema – एरीथेमा – चर्म का बहुत लाल हो जाना
5. Urticaria – अर्टिकेरिया – शीतपित, पित्ती उछलना
6. Ring Worm – रिंगवर्म – दाद, दादू
7. Prickly Heat – प्रिक्लीहाट – गर्मी के दाने
8. Acne – कील मुहासे
9. एक्जिमा – पाया, छाजन, चर्म रोग
10. Pruritis – प्रूराईटिस – सूखी खूजली
11. Itch – Scabies – स्केबीज – छूतवाली खूजली
12. Psoriasis – सोरायसिस -चम्बल
13. Leucoderma – ल्यूकोडर्मा – सफेद दाग, सफेद कोढ
14. Ulcers Wounds – अलसर वाऊण्डस – घाव, जख्म, व्रण
15. Varicose Ulcers – वैरिकोस अल्सर – पिंडली की शिराओं का फूल जाना और उनमें घाव हो जाना
16. Carbuncle कारबंकल – प्रमेह पीडिका, पृष्णव्रण, राजफोडा
17. Boils (बायलस), Furunculous – फुरन्कुलोसिस – फोडा, फुन्सी, दुम्बल, बालतोड
18. Lupus Vulgaris – ल्यूपस वरगेरिस – लाल खुरदाने दाने निकलना
19. Burns and Scalds – बर्न एण्ड स्केलडस – आग से जलना
20. Corns – गटटे्, कोर्न्स, आटन, गोरखूल
21. Allergic Reactions – एलर्जी रियेक्शन – एलर्जी विकार और कष्ट
यौनरोग (Sexual Disease)
1. A. I. D. S. [HIV] – एडस (एच . आई. वी.)
2. Gonorrhea – गोनोरिया (सुजाक)
3. Night Emission – नाईट इमिशन – स्वप्न दोष
4. Spermatorrhoea – वीर्य प्रमेह
5. Premature Ejaculation – शीघ्र पतन
6. Excess and Incomplete Sex Desire – (अधिक और अपूर्ण कामइच्‍छा)
7. Masturbation – मस्ट वेशन – हस्तमैथून
8. Hydrocele – हाइड्रोसील
9. Orchitis – अण्डकोसो की शोथ
10. Urethritis – मुत्र प्रणाली प्रदाह
11. Pain in Testicles – वृण्णों में दर्द
12. Impotency – नपुन्सकता
13. Syphilis – (सिफलिस) उपदंश
स्त्रीरोग तथा परिवारनियोजन
1. Pruritis Vulvae – योनि की खुजली
2. अनार्तव (Amenorrhoea) – मासिक धर्म बन्द हो जाना
3. कष्टार्तव (Dysmenorrhoa) – मासिक धर्म कष्ट से आना
4. अत्यार्तव (Menorrhagia) – मासिक धर्म बहुत अधिक आना
5. अतिकालार्तव (Metrorrhagia) – रक्त प्रदत

आयुर्वेदिक जड़ी बूटी से स्त्री और पुरुष गुप्त रोग का समाधान


6. योनिशोथ (Vaginitis, Vulvitis) – योनि शोथ
7. Vaginismus – योनि की ऐठन/ योनि संकोच
8. श्वेत प्रदर (Leucorrhoea)
9. Metrits – गर्भाशय पेशी शोथ
10. Wound in Vagina योनि के घाव
11. Vomiting of Pregnancy – गर्भवती की कै
12. Bleeding in Pregnancy – गर्भवती का रक्तस्त्राव
13. Weakness in Pregnancy – गर्भवती की शारीरिक कमजोरी
14. Pregnancy Diagnosis – गर्भ परीक्षा
15. Fake Pregnancy – झूठा गर्भ
16. परिवार नियोजन, बर्थ कण्ट्रोल
17. स्त्रीयों में कामवासना की अधिकता
18. स्त्रीयों में कामवासना ना होना
19. गर्भवती की कब्ज
20. बच्चा जनने के बाद का दर्द
21. Pain in Uterus – गर्भाशय में दर्द
22. Mastitis, Mammary Abacess – स्तन शोध स्तन में फोडा हो जाना
23. Nipples Cracked – स्तनों की चूची के घाव
24. Breast Engorgement [Galactorrhoea ] – स्तनों में दूध की वृद्धि
25. Decrease in Milk, Secretion or Suppression of Lactation – स्तनों में दूध की कमी
26. Retention or Freezing of Milk – दूध रूक या जम जाना
27. Milk of Fever – दूध का ज्वर
28. Enlargement of the Breast – स्तनों का बड़ा हो जाना
29. स्तनों का ढीला हो जाना
30. झांई (Freckles)
31. बाल उग जाना
मिश्रित रोग
1. मधुमेह (Diabetes Mellitus) – मूत्र में शक्कर आना
2. भ्रमि (Vertigo) – चक्कर आना
3. सिरदर्द (Headache)
4. अर्धकपारी (Nugrabe) – आधे सिर का दर्द
5. अधिवृषण वृषणशोथ (Epidiymo-orchitis) – अन्डकोषो में सूजन
6. घाव और उसकी देखभाल (Wound & Management)
7. मवाद बनना (Abscess Formation)
8. टीकाकरण (Vaccination)
आपातकालीन रोग चिकित्सा (Medical Emergencies)
1. Shock – शाक (सदमा)
2. Burns – जलना
3. Hypothermia – शरीर का तापमान कम हो जाना
4. Heat Stroke – लू लगना
5. Frost Bite – हिमदाह
6. Drowning – पानी में डूबना
7. Electric Current – बिजली की झटका
8. Canabis Indica Poisoning – मांग विषाक्तता
9. Dhatura Poisoning – धतूरा विषाक्तता
10. Cocaine Poisoning – कोकीन विषाक्तता
11. Opium Poisoning – अफीम विषाक्तता
12. Barbiturate Poisoning – बार बिचूरेट विषाक्तता
13. Arsenic Poisoning – संखिया विषाक्तता
14. Cynide Poisoning – सायनाइड विषाक्तता
15. Copper Sulphate Poisoning – नीला थोथा विषाक्तता
16. Alcohol Introxication – मघपान विषाक्तता
17. Bee/Basp Stings – मधुमक्खी/दतैया/बर्र का काटना
18. Scorpion’s Venom – बिच्छु का विष
19. Acute Vomiting – तेज उल्टियां
20. Dehydration – पानी की कमी
21. Haematuria – मूत्र में खून आना
22. Syncope – मूर्छा/बेहोशी
23. Haemorrhage – रक्तस्त्राव
24. Anaemia – रक्त की कमी
25. Filaria – हाथी पॉव
26. Dengu Fever – अस्थिमंजक ज्वर
27. Anal Fissure – गुर्दा का फट जाना
28. Obesity – मोटापा
29. Bronchial Asthma – श्वास रोग दमा
30. Bronchitis – श्वास नली की सुजन
31. Rabies [Hydrophobia] – पागल कुत्ते का काटना
32. Whooping Cough – काली खाँसी
33. Cholera – हैजा
34. Paraiysis – लकवा
35. Lumbago Pain – कमर दर्द
36. Depression – हताश हो जाना
37. Tuberculosis – टी. बी.
38. Vitamin A & D की कमी से होने वाला रोग – रतौंधी/ रात को दिखाई ना देना।
39. Vitamin B1 की कमी से होने वाला रोग – नाड़ी शूल
40. Vitamin B2 की कमी से होने वाला रोग – शरीर की पीड़ा, दुबलापन, नजला एंव थकावट
41. Vitamin B1 & B12 कमी से होने वाला रोग – स्नायुशूल, सम्पूर्ण शरीर में दर्द, नर्वस सिस्टम की कमजोरी तथा नर्वससिस्टम के रोग।
42. Vitamin ‘C’ की कमी से होने वाला रोग – नजला, जुकाम, हरारत, रोग क्षमता की कमी, स्कर्वी रोग, रक्तस्कन्दन की कमी।
43. Vitamin E की कमी से होने वाला रोग – नपुन्सकता, बाँझपन, रक्त संचार की विकृति
44. Vitamin ‘B’ Complex की कमी से होने वाला रोग – भुख ना लगना भोजन करने की इच्छा ना होना भोजन का ना पचना कब्ज मुख में छाले।
45. Burning in Hands & Feel – हाँथ पैर के तलवों में जलन

वात रोग
1.Chorea – बिना इच्छा अंगों को हिलाते रहना
2.Chronic Rheumatism – पुराना गठिया, सन्धि शोध
3.Gout – छोटे जोडो का दर्द
4.Facial Paralysis – लकवा/ मुख टेढा हो जाना
5.Sciatica – गृहृदसी, लगडी का दर्द
मूत्र संस्थान के रोग
1. Retention of Urine – मूत्र बंद हो जाना
2. Enuresis – बिना इच्छा मूत्र निकल जाना
3. Pain in Urethra – मूत्र मार्ग का दर्द
4. Burn in Urine – मूत्र में जलन
5. Haematuria – मूत्र में रक्त आना
बच्चों के रोग
1. Indigestion – अर्जीण
2. Thrush – मुख पकना
3. Constipation – कब्ज
4. Diarrhoea Infantile – बच्चों की अतिसार
5. Cough – खाँसी
6. Abdomen Colic – पेट का दर्द
7. Vomiting – बच्चों की “कैं”
8. Ophthalmia Neonatorum – नवजात शिशू के नेत्र दूखना
9. Intestinal in Worms – पेट के कीड़े
10. Marasmus – सूखा रोग, मसान रोग, बच्चों का क्षय
11. Teething – दाँत निकलना
12. Asthma – बच्चों का अस्थमा
13. Breeth Holding – श्वास रुकना
14. Icterous Neonatorum – बच्चों का पांडू रोग
15. Pemphigus Neonatorum – नवजात शिशू के छाले
16. बच्चों का बिस्तर में मूत्र निकल जाना
17. बच्चों का मूत्र बंद हो जाना
18. Napkin Rash – लंगोंट के ददोड़े
19. Anemia – रक्त अल्पता
20. बच्चें का मलेरिया ज्वर
21. Adenitis – लासिका ग्रेन्थिशोथ
22. Infantile Pneumonia -बच्चों का न्यूमोनिया
23. Poliomyelitis – पोलियो माइलाइटिस
24. बच्चों की बुद्धिहीनता, जड बुद्धि होना
25. तुतलाना
26. Infantile Eczema – इन्फेनटाईल एक्जिम

ज्योतिष में हमारी सेवाएँ

है जो की समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए आदि काल से ही अत्यंत उपयोगी रहा है। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा काल ज्ञान, विभिन्न मुहूर्त, शुभाशुभ सूचनाओं का ज्ञान किया जाता है । मानव जीवन में ऐसे कई ऐसे प्रश्न होते हैं जिनके समाधान के लिए ज्योतिष शास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। इसे सीखना आसान नहीं है। ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है। सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र की व्युत्पत्ति ‘ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्‌’ की गई है। हमें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि ज्योतिष भाग्य या किस्मत बताने का कोई खेल-तमाशा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से एक विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र वेद का अंग है। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति ‘द्युत दीप्तों’ धातु से हुई है। 

"हजारों ग्राहकों के द्वारा विश्वासपूर्ण"

"35 वर्ष का अनुभव"

"योग्य ज्योतिषी" का राशिफल"

ग्राहक क्या कह रहे हैं

अंजलि मेहता "बाबर्ची"

मैंने आयुर्वेदिक उपचार से अपने दिल में सुधार देखा है। आयुर्वेदिक उपचार से मेरे घुटनों का दर्द खत्म हो गया है।

आर्यन गुप्ता "व्यवसायी"

मैने आयुर्वेदिक उपचार कराके मधुमेह पूर्ण रूप से ठीक कर लिया है।

ईशान चौधरी "निवेश बैंकर"

मैंने आयुर्वेदिक उपचार से पेट की बीमारी जैसी समस्या, गैस की बीमारी ठीक कर ली है

दीपक कुमार "होटल व्यवसायी"

आयुर्वेदिक औषधि ने मेरी ताजगी बढ़ाई है। प्राकृतिक उपचार ने मेरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारा है।

हमारे यहां हर तरह का बीमारी का इलाज आयुर्वेद जड़ी-बूटी से किया जाता है।

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